पुरानी यादों का सफर: सुनील गावस्कर

पुरानी यादों का सफर: सुनील गावस्कर
भारतीय क्रिकेट में वैसे तो बहुत से सितारे हुए हैं, परन्तु १० जुलाई १९४९ को मुंबई में एक सितारे ने जन्म लिया जिसका नाम था सुनील मनोहर गावस्कर। गावस्कर ने बल्लेबाज़ी की कला को नयी ऊँचाइयाँ दीं और विश्व क्रिकेट पटल पर भारत का चेहरा बदल दिया।
सुनील गावस्कर का चयन उनके रणजी ट्रॉफी और शेष भारत में बेहतरीन प्रदर्शन के बलबूते पर १९७१ में वेस्ट इंडीज दौरे पर जाने वाली टीम में प्रारम्भिक बल्लेबाज़ के तौर पर हुआ था। टीम की कप्तानी मुंबई रणजी टीम के भी कप्तान अजित वाडेकर के हाथों में सौंपी गयी। भारत का पिछ्ला वेस्ट इंडीज दौरा किसी बुरे सपने की तरह था, जिसमें भारत को वेस्ट इंडीज ने भारतीय टीम को ५-० से रौंद दिया था।
पहले टेस्ट मैच [किंग्स्टन जमैका ] जो ड्रा रहा, में नहीं खिलाये जाने के बाद ,गावस्कर को दूसरे टेस्ट मैच [जो पोर्ट ऑफ़ स्पेन में खेला गया], में अशोक मांकड़ के साथ पारी प्रारम्भ करने की ज़िम्मेदारी मिली| वेस्ट इंडीज के कप्तान गैरी सोबर्स ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय लिया, जो सही साबित नहीं हुआ। चार्ली डेविस के नाबाद ७४ रनों के अलावा कोई बल्लेबाज़ भारतीय गेंदबाज़ी का सामना अच्छे ढंग से नहीं कर पाया और उनकी प्रथम पारी २१४ रन बनाकर समाप्त हो गयी।
भारत ने अपनी पारी प्रारम्भ की और पहले दिन का खेल समाप्त होने तक अशोक मांकड़ १४ और गावस्कर ८ रन बना कर क्रीज़ पर डटे हुए थे। दूसरे दिन का खेल प्रारम्भ होने के कुछ ही देर बाद होल्डर की गेंद पर सोबर्स ने गावस्कर का कैच छोड़ दिया। ६५ रनों की अच्छी पारी खेल कर, गावस्कर नोरीजा की गेंद पर क्लाइव लॉयड द्वारा कैच आउट हो गए। अजित वाडेकर भी अगली ही गेंद पर आउट हो कर पवैलियन वापस लौट गए। दिलीप सरदेसाई के शानदार ११२ रनों के बलबूते भारत ने ३५२ रनों का मज़बूत स्कोर खड़ा किया। अब भारत के पास १३८ रनों की लीड थी। दिन का खेल समाप्त होने तक वेस्ट इंडीज ने लीड बराबर कर दी थी। फ़्रेड्रिक्स और डेविस क्रीज़ पर मौजूद थे।
वेस्ट इंडीज की टीम दूसरी पारी में भी भारतीय गेंदबाज़ों का ढंग से सामना नहीं कर पायी और चार्ली डेविस के नाबाद ७४ रनों के बावजूद २६१ रन बनाकर आउट हो गयी।
अब भारतीय टीम के पास वेस्ट इंडीज़ को उनके घर में हराने का सुनहरा मौका था। भारत को सिर्फ १२४ रन बनाने थे, समय की कोई कमी नहीं थी। हालाँकि भारत के एक समय ८४ रन पर तीन चोटी के बल्लेबाज़ आउट हो गए थे, किन्तु आबिद अली और गावस्कर ने मिल कर बचे हुए ४० रन बिना किसी परेशानी के बना लिए और डेढ़ दिन का समय रहते टेस्ट मैच ७ विकेट से जीत लिया।
सुनील गावस्कर ने विश्व क्रिकेट पटल पर अपने पदार्पण का दो परियों में १३२ रन [ एक पारी में नाबाद ] बनाकर धमाकेदार ऐलान कर दिया था।
इस विजय का भारतीय दृष्टिकोण से महत्त्व इस आंकड़े को लेकर आँका जा सकता है कि २५ जून १९३२ को जब भारत ने इंग्लैंड के विरुध्द छठे टेस्ट खेलने वाले देश के रूप में पदार्पण किया, उसके बाद न्यू ज़ीलैण्ड में १९६७ में सीरीज विजय के पश्चात् प्रथम बार वेस्ट इंडीज़ को उसके घर में हराया था।
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